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Aug
गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है, जिसे विष्णु भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें जीवन, मृत्यु और मृत्यु के बाद की यात्रा का विस्तार से वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण का प्रेत खंड मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति, यमलोक की यात्रा, पाप-पुण्य का लेखा-जोखा और पुनर्जन्म के विषय में विशेष जानकारी देता है।
मृत्यु के समय आत्मा की स्थिति
- जब मनुष्य की मृत्यु निकट आती है, तब यमदूत उसके पास आते हैं।
- यदि व्यक्ति पुण्यात्मा होता है, तो देवदूत (विशालकाय, सुंदर, उज्ज्वल शरीर वाले) उसे शांतिपूर्वक ले जाते हैं।
- लेकिन यदि वह पापी होता है, तो भयंकर और डरावने यमदूत उसके पास आते हैं और पीड़ा देते हुए उसे खींचकर ले जाते हैं।
आत्मा की यमलोक की यात्रा (17 दिन की यात्रा)
- मृत्यु के बाद आत्मा सूक्ष्म शरीर में यमलोक की ओर यात्रा शुरू करती है।
- इस यात्रा में आत्मा को 16 नदियाँ, जंगल, पहाड़, और नरकों से होकर गुजरना पड़ता है।
- हर दिन आत्मा को अपने किए कर्मों के आधार पर कष्ट या राहत मिलती है।
पिंडदान और श्राद्ध का महत्व
- आत्मा की शांति और यमलोक की यात्रा को सरल बनाने के लिए परिजनों को 13 दिन तक पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करना चाहिए।
- विशेष रूप से 10वें, 11वें, 12वें और 13वें दिन किए गए कर्मकांड आत्मा को मुक्ति दिलाने में सहायक होते हैं।
- यदि ये कर्म नहीं किए जाएं, तो आत्मा भटकती रहती है और प्रेत योनि में जाने की आशंका रहती है।
चित्रगुप्त और कर्मों का लेखा-जोखा
- यमलोक पहुँचने के बाद आत्मा को चित्रगुप्त के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवनभर के सभी अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।
- उनके आधार पर यमराज निर्णय करते हैं कि आत्मा को स्वर्ग मिलेगा या नरक।
स्वर्ग और नरक
- पुण्य आत्माओं को स्वर्ग भेजा जाता है जहाँ उन्हें सुख, ऐश्वर्य और आनंद की प्राप्ति होती है।
- पापी आत्माओं को विभिन्न नरकों में भेजा जाता है। गरुड़ पुराण में 28 प्रमुख नरकों का वर्णन है जैसे:
- तामिस्र (झूठ बोलने वाले)
- महातामिस्र (धोखा देने वाले)
- रौरव (क्रूरता से हिंसा करने वाले)
- कुंभिपाक (ब्राह्मण हत्या करने वाले)
- हर नरक में अलग-अलग प्रकार के यातनाएँ दी जाती हैं जैसे खौलते तेल में डालना, कांटों पर चलाना, जानवरों द्वारा नोचवाना आदि।
पुनर्जन्म (Rebirth)
- नरक या स्वर्ग में समय बिताने के बाद आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार पृथ्वी पर पुनर्जन्म दिया जाता है।
- यदि किसी ने अधिक पुण्य किए हैं, तो वह अच्छे कुल, घर या देव योनि में जन्म लेता है।
- यदि पाप अधिक हैं, तो आत्मा को निचली योनियों जैसे जानवर, कीड़े या पेड़-पौधों के रूप में जन्म मिलता है।
मोक्ष की प्राप्ति
- जो व्यक्ति जीवनभर भगवान का स्मरण करता है, सच्चा धर्म का पालन करता है, पाप से बचता है और सद्कर्म करता है — उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- ऐसा व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर परमात्मा में लीन हो जाता है।
निष्कर्ष
गरुड़ पुराण हमें यह सिखाता है कि मृत्यु अंत नहीं है, बल्कि एक यात्रा है आत्मा की। हमारे कर्म ही तय करते हैं कि मृत्यु के बाद हमारा मार्ग क्या होगा – स्वर्ग, नरक या मोक्ष। इसलिए जीवन में सद्कर्म करना, सत्य बोलना, दूसरों की सेवा करना, और भगवान का भजन करना ही इस यात्रा को शुभ बना सकता है।
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