भागवत पुराण
भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। इसलिए भागवत पुराण का प्रमुख विषय भक्ति योग है। परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। भागवत पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों का विस्तृत वर्णन मिलता है। भागवत पुराण शुकदेवजी ने सर्वप्रथम परीक्षित राजा को सुनाया था। ऋषि मुनिओ द्वारा भगवान विष्णु के 12 अवतार के बारे में महर्षि सूतजी से प्रश्र करते हे। सूतजी कहते की यह कथा मेने शुकदेवजी से सुनी थी। यह में आपको सुनाता हु, और इस तरह भागवत का प्रारम्भ होता है।
भागवत पुराण का परिचय
18 पुराणों में से भागवत पुराण महत्वपूर्ण और विख्यात पुराण है। पुराणों की गणना में यह पुराण आठवाँ पुराण के रूप में स्वीकार किया गया है। भागवत पुराण में साधुओ और ऋषि मुनिओ को महर्षि सूतजी एक कथा सुनते है। भगवन विष्णु के अवतारों के बारे में साधु और ऋषिओ सूतजी से प्रश्न करते है। सूतजी कहते की यह कथा शुकदेवी ने मुझे सुनाई थी।
भागवत पुराण में 12 स्कन्ध, 335 अध्याय और 18 हजार श्लोक मिलते है। इस पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों का वर्णन सरल भाषा में किया गया है।
12 स्कन्ध:
प्रथम स्कन्ध: भागवत पुराण के प्रथम स्कन्द में भक्तियोग और वैराग्य का वर्णन मिलता है।
द्वितीय स्कन्ध: भागवत के द्वितीय स्कन्ध में ब्रह्माण्ड की उत्त्पत्ति और विराट् पुरुष का स्वरुप का वर्णन मिलता है।
तृतीय स्कन्ध: भागवत पुराण के तृतीय स्कन्ध में भगवान का बाल चरित्र वर्णन उद्वव द्वारा कहा गया है।
चतुर्थ स्कन्ध: भागवत के इस स्कन्ध में राजर्षि ध्रुव और पृथु का चरित्र वर्णन मिलता है।
पंचम स्कन्ध: भागवत पुराण के इस स्कन्ध में समस्त सृस्टि की स्थिति, जैसे की समुद्र, पर्वत, नदी, पाताल, नरक आदि का वर्णन मिलता है।
षष्ठ स्कन्ध: इस स्कन्ध में देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के जन्म की कथा का वर्णन किया गया है।
सप्तम स्कन्ध: भागवत पुराण के इस स्कन्ध में भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद के साथ हिरण्यकश्यिपु, हिरण्याक्ष चरित्र का वर्णन किया गया है।
अष्टम स्कन्ध: इस स्कन्ध में गजेन्द्र मोक्ष, मन्वन्तर कथा और वामन अवतार वर्णन मिलता है।
नवम स्कन्ध: इस स्कन्ध में भगवान श्री राम की जीवन कथा और राजवंशों का वर्णन किया गया है।
दशम स्कन्ध: भागवत पुराण के इस स्कन्ध में भगवान् श्रीकृष्ण की अनन्त लीलाएं का वर्णन मिलता है।
एकादश स्कन्ध: इस स्कन्ध में यदु वंश का संहार कैसे हुआ यह बताया गया है।
द्वादश स्कन्ध: यह स्कन्ध भागवत पुराण का आखरी स्कन्ध हे, इसमें विभिन्न युगों तथा प्रलयों और भगवान् के उपांगों आदि का वर्णन किया गया है।
भागवत पुराण का महत्व
पुराणों में भागवत पुराण सबसे अधिक लोकप्रिय पुराण कहा जाता हे। इस पुराण में भगवान श्री कृष्ण की लीला जीतनी बताई गयी हे उतनी किसी अन्य पुराण में नहीं है। इसलिए भागवत पुराण कृष्ण भक्त के लिए पूजनीय ग्रंथ है।
भागवत पुराण में कहा गया हे की…
सर्ववेदान्तसारं हि श्रीभागवतमिष्यते।
तद्रसामृततृप्तस्य नान्यत्र स्याद्रतिः क्वचित्॥
श्रीमद्भाग्वतम् सभी वेदों का सार है। इस रसामृत के पयपान से जो मनुष्य तृप्त हो गया है, उस मनुष्य को किसी अन्य वस्तु में आनन्द आ ही नहीं सकता।
भागवत कथा सुनने मात्र से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते है। भागवत सुनने से लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। इस कलयुग में भागवत पुराण की कथा सुनते ही मनुष्य भवसागर पार हो जाता है।