पद्म पुराण
पद्म पुराण हिन्दू धर्म के 18 पुराणों में प्रसिद्ध पुराण है। इस पुराण के रचियता महर्षि वेदव्याद ऋषि हे। वेदव्यास ऋषि ने पद्म पुराण को संस्कृत भाषा में लिखा है। 18 पुराणों की गिनती में पद्म पुराण दूसरे क्रम में है, और यह पुराण में 55,000 श्लोक मिलते हे और स्कन्द पुराण में 81,000 श्लोक मिलते है। इसलिए श्लोक संख्या कि दृष्टि से भी पद्म पुराण को दूसरा स्थान प्राप्त है। पद्म का अर्थ कमल पुष्प है, क्योकि भगवान विष्णु की नाभि से कमल का पुष्प उत्पन हुआ और उसमे से भगवान ब्रह्माजी प्रगट हुए और सृष्टि का निर्माण किया। ब्रह्माजी ने कमल से प्रगट होते ही जी ज्ञान दिया उसे ही पद्म पुराण कहते है। पद्म पुराण में भगवान श्री विष्णु की सम्पूर्ण महिमा का वर्णन मिलने के साथ भगवान श्री राम और श्री कृष्ण का चरित्र वर्णन मालता है। इस पुराण में हिन्दू धर्म के तीर्थो का माहात्म्य शालिग्राम तुल्य और तुलसी की विशेष महिमा का वर्णन मिलता है।
पद्म पुराण का परिचय
पद्म पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित एक वैष्णव पुराण है। इस पुराण में 7 खण्ड, 697 अध्याय और 55,000 श्लोक है। पद्म पुराण में भगवान विष्णु के अवतार वामन अवतार का आख्यान, तुलाधार की कथा, नंदी धेनु उपाख्यान इत्यादि आख्यानों और कथाओ द्वारा सत्य का वर्णन अच्छी तरह समझाया गया है। तुलाधार कथा में पतिव्रत धर्म का सम्पूर्ण वर्णन मिलता है। पद्म पुराण के खंड निम्नलिखित है।
पदम-पुराण के खंड
1. सृष्टि खण्ड
2. भूमि खण्ड
3. स्वर्ग खण्ड
4. ब्रह्म खण्ड
5. पाताल खण्ड
6. उत्तर खण्ड
7. क्रियायोगसार खण्ड
पदम-पुराण का आरंभ
पद्म पुराण सबसे पहले ब्रह्माजी ने पुलस्त्य ऋषि को सुनाया था और पुलस्त्य ऋषि ने भीष्म को सुनाया था। पद्म पुराण में भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में सम्पूर्ण बताया गया है। पद्म पुराण में कई कथा ऐसी हे जो अन्य पुराणों में भी उसका उल्लेख मिलता है। पद्म पुराण अत्यन्त पुण्य-दायक और पापों का विनाश करने वाला पुराण है।
पद्म पुराण में तुलसी की महिमा
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी।
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी।।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता।
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।
भावर्थ: जो दर्शन करने से सारे पाप का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र कर देती है, प्रणाम करने पर रोगों का नाश करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचा देती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर, मोक्ष रूपी फल देती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है।
तुलसी की महिमा का पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण और गरुड़ पुराण में भी वर्णन मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार हर दिन तुलसी की पूजा और दर्शन मात्र से समस्त पापो से मुक्ति मिलती है। इस पुराण में तुलसी को मोक्षदायक कहा गया है। पद्म पुराण में यह भी कहा गया है की समस्त नदिओं का स्नान करने का जो फल मिलता है वह सिर्फ तुलसी पत्र के स्पर्श करने से मिल जाता है। तुलसी की पूजा करने मात्र से सभी कर्मकांडो का पुण्य मिलता है।
पद्म पुराण में क्या लिखा है?
पद्म पुराण में भगवान श्री विष्णु की सम्पूर्ण महिमा का वर्णन मिलने के साथ भगवान श्री राम और श्री कृष्ण का चरित्र वर्णन मालता है। इस पुराण में हिन्दू धर्म के तीर्थो का माहात्म्य शालिग्राम तुल्य और तुलसी की विशेष महिमा का वर्णन मिलता है।
पद्म पुराण के कितने खंड है?
पद्म पुराण में 7 खण्ड, 697 अध्याय और 55,000 श्लोक है।
पद्म पुराण का दूसरा नाम क्या है?
पद्म पुराण के अनुसार इस पुराण में भगवान श्री विष्णु की आराधना, पूजन, ध्यान और भक्ति भली- भाँति ज्ञान दिया है। इसलिए पद्म पुराण मुख्य रूप से वैष्णव पुराण है।
पद्म पुराण के उपाय: पद्म पुराण के मुताबिक शालिग्राम, तुलसी और संख इन तीनो की एक साथ पूजा करने से भगवान श्री विष्णु प्रसन्न होते हे। आपकी मनोकामना पूर्ण करते है।
पद्म पुराण के मुताबिक दीपक, शिवलिंग, शालिग्राम, शंख, तुलसी, रुद्राक्ष, पुष्प माला, जप माला, यज्ञोपवीत, यह सभी को बिना आसान दिए भूमि पर रखने से महान पाप होता है।
न कुर्याच्छुष्कवैराणि विवादं न च पैशुनम्।
न संवसेत्सूचकेन न कं वै मर्माणि स्पृशेत्।।
पद्म पुराण के मुताबिक बिना किसी कारण दुश्मनी न करें, किसी भी निंदा ना करे, निंदा करने वाले मनुष्य से दूर रहे, किसी भी प्राणी को दुःख ना दे। अपने जीवन में यह पांच दुरी रखने से आने वाला दुःख टाला जा सकता है।