प्रश्नोपनिषद

प्रश्नोपनिषद

प्रश्नोपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है। स उपनिषद् के प्रवक्ता आचार्य पिप्पलाद थे जो कदाचित् पीपल के गोदे खाकर जीते थे। इनका रचनाकाल संहिताओं के बाद का है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है समान्यत उपनिषदो का काल रचनाकाल ३००० ईसा पूर्व से ५०० ईसा पूर्व माना गया है। उपनिषदों के काल-निर्णय के लिए निम्न मुख्य तथ्यों को आधार माना गया है।

प्रश्नोपनिषद के छः खण्ड हैं, जिन्हें छः प्रश्न कहते हैं। ग्रन्थ के प्रारम्भ में सुकेशा आदि छः ऋषिकुमार मुनि पिप्पलाद के आश्रम में आते हैं तथा उनसे कुछ पूछना चाहते हैं। मुनि उनसे अपेक्षा करते हैं कि वे एक वर्ष तक संयमपूर्वक यहीं रहें तथा उसके बाद जो कोई भी प्रश्न पूछना चाहे, वह पूछ सकता है। इससे दो बातें ज्ञात होती हैं; एक तो यह कि कुछ दिन पूर्ण संयमपूर्वक गुरु की सेवा में रहने पर ही शिष्य को ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता प्राप्त होती है, केवल प्रश्न-उत्तर करने से ही सच्चा तत्व प्राप्त नहीं होता; तथा दूसरी बात यह कि गुरु को भी शिष्य की पूरी परीक्षा किये बिना ज्ञान नहीं देना चाहिए, क्योंकि अयोग्य व्यक्ति को दी गई शिक्षा न केवल व्यर्थ होती है, अपितु कई बार हानिकारक भी होती है। अतः शिष्य के अधिकारों पर पूर्ण विचार करके उसकी योग्यता के अनुसार ही शिक्षा देनी चाहिए।

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