सूर्य सिद्धांत
ज्योतिष शास्त्र के विस्तृत साहित्यिक में मेरु की भाँति विद्यमान सूर्य सिद्धान्त जहाँ अपनी प्राचीनता एवं प्रामाणिकता के लिए प्रसिद्ध है, और अपनी सरलता के कारण लोकप्रिय भी है। सूर्य सिद्धान्त के उपदेशक स्वयं भगवान सूर्य हैं, अतः इस ग्रन्थ का काल निर्धारण विवादास्पद रहा है । सूर्य सिद्धान्त का उपदेश समय-समय पर ऋषियों को होता रहा है जिसमें अन्तिम उपदेश सूर्य के अंशावतार ने ‘मय’ को दिया था। इस प्रसंग से सूर्य सिद्धान्त की एक विस्तृत परम्परा सिद्ध होती है।
सूर्य सिद्धान्त में जो काल भेद का उल्लेख है वह इस सिद्धान्त की प्रामाणिकता और जागरूकता को संकेतित करता है । सूर्य सिद्धान्त के ऐतिहासिक पक्ष पर दृष्टि डालने वाले विद्वानों ने वर्तमान सूर्य सिद्धान्त को मयोपदिष्ट सूर्य सिद्धान्त से भिन्न माना है । कुछ विद्वानों ने पांच सिद्धांत में वर्णित सूर्य सिद्धान्त को मूल सिद्धान्त कहा है।
वर्तमान समय में भी सिद्धांत पांच चर्चा में हैं किन्तु पाँचों सिद्धान्त के पाँच सिद्धान्तों से भिन्न हैं अतः इन्हें वर्तमान सिद्धान्त पंचक कहा जाता हैं । इनके नाम इस प्रकार हैं—
१. सूर्य सिद्धान्त, १२. सोम सिद्धान्त, ३. वसिष्ठ सिद्धान्त, ४. रोमश सिद्धान्त और ५. ब्राह्म सिद्धान्त ( शाकल्य संहितोक्त ) ये पाँचों सिद्धान्त ईश्वरीय माने जाते हैं। आचार्य शंकरबालकृष्ण दीक्षित ने स्पष्ट लिखा है कि पांच सिद्धांतों में कहा गया है पाँच सिद्धान्तों में से कुछ या सब और विष्णुधर्मोत्तर सिद्धान्तों को छोड़कर आजकल अन्य कोई भी सिद्धान्त ईश्वरीय नहीं माना जाता ।
परिचय
सूर्य सिद्धांत में संस्कृत भाषा में लिखे हुए कुल 14 अध्याय और 500 श्लोक लिखे गए हैं। सभी अध्याय में खगोल विद्या को समझाने का प्रयास किया गया है। इस ग्रंथ में समस्त सौरमंडल, ग्रह, पृथ्वी, राशियाँ, गणित इत्यादि के बारे में गूढ़ रहस्यों से भरा भरा हुआ हैं।
सूर्य सिद्धांत में ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रलय, ग्रहों की गति और दिशा, समय, दूरी और व्यास, ग्रहण का लगना और उसका आंकलन, राशियाँ और उनके प्रभाव, सूर्य सिद्धांत पंचांग, त्रिकोणमिति, गुरुत्वाकर्षण बल, पृथ्वी की रेखाओं और ध्रुवों का विवरण आदि के विषय में बताया गया है।
सूर्य सिद्धांत में वर्तमान वैज्ञानिक शोध से हजारों वर्षों पूर्व ही ऐसी बातें बता दी गयी थी जो आज के समय में एक दम सही बैठती हैं। इसलिए इस ग्रंथ का लगभग विश्व की हर भाषा में अनुवाद हुआ है। इसके साथ-साथ देश-विदेश के कई वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इतिहासकारों द्वारा किसी खोज की शुरुआत को पूर्ण रूप देने के लिए सूर्य सिद्धांत का सहारा लिया जाता हैं।