वामन पुराण
वामन पुराण हिंदू धर्म के वेदव्यास रचित अठारह पुराणों में से एक पुराण है। पुराणों की सूचि में वामन पुराण चौदहवां स्थान पर है,ऐसा स्वयं पुलस्त्य ऋषि ने नारदजी से कहा है। इस पुराण में भगवान श्री हरी विष्णु के माहात्म्य का व्याख्यान मिलता है। भगवान विष्णु के वामन अवतार के आधार पर यह पुराण वैष्णव पुराण लगता है। परंतु वामन पुराण वास्तव में शैव पुराण है, क्योकि इस पुराण में भगवान शिव की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।
परिचय
वेदव्यास रचित वामन पुराण में 10,000 श्लोक और 95 अध्याय है। पुराणों की गणना में चौदहवां स्थान प्राप्त हे, और अठारह पुराणों में वामन पुराण आकार में छोटा है।
वामन पुराण के आदिवक्ता महर्षि पुलस्त्य ऋषि हैं और आदि प्रश्नकर्ता तथा श्रोता देवर्षि नारद हैं। नारदजीने वेदव्यास को वेदव्यास ने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्य में शौनक आदि ऋषि मुनियों को इस पुराण की कथा सुनायी थी।
इस पुराण के उपक्रममें देवर्षि नारद के द्वारा प्रश्न और उसके उत्तर के रूप में पुलस्त्य ऋषि का भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा, भगवान शिव का लीला-चरित्र, जीमूतवाहन- आख्यान, ब्रह्मा का मस्तक छेदन तथा कपालमोचन – आख्यान का विस्तारपूर्वक वर्णन है।
वामन पुराण की संक्षिप्त जानकारी
वामन पुराण उत्तर भाग और पूर्व भाग से युक्त है। इस पुराण में कूर्म कल्प के वृतान्त वर्णन के साथ त्रिवर्ण की कथा है। इसमें भगवान् विष्णु के अवतार वामन, नर- नारायण तथा भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तोंके बड़े रम्य आख्यान हैं। मुख्यतः वैष्णवपुराण होते हुए भी इसमें शैव तथा शाक्तादि धर्मोकी श्रेष्ठता एवं ऐक्यभावकी प्रतिष्ठा की गयी है।
वामन पुराण में दक्षयज्ञ विध्वंस, हरिका कालरूप, कामदेव- दहन, अंधक-वध, बलिका आख्यान, लक्ष्मी चरित्र, प्रेतोपाख्यान आदिका विस्तारसे वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें प्रह्लाद का नर-नारायणसे युद्ध, देवों, असुरों के भिन्न-भिन्न वाहनोंका वर्णन, वामन के विविध स्वरूपों तथा निवास-स्थानों का वर्णन, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और विष्णुभक्ति के उपदेशों का वर्णन किया गया है।
इस पुराण में कुरुक्षेत्र, कुरुजाङ्गल, पृथूदक आदि तीर्थोंका विस्तारपूर्वक वर्णन, श्रीदुर्गा चरित्र तपती चरित्र कुरुक्षेत्र वर्णन किया गया है। वामन पुराण के अनुसार बलिका यज्ञ कुरुक्षेत्र में ही हुआ था।